श्रावण, हरिमास, झूलनमास… सावन के 10 नाम और उनकी कहानी, जिन्हें 99 फीसदी भारतीय नहीं जानते

भगवान शिव को समर्पित सावन का महीना शुरू हो चुका है. सावन का शास्त्रीय नाम श्रावण है. इसकी एक वजह है. हिन्दू महीनों के नाम रखने का एक खास तरीका है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उस महीने वो नाम मिलता है. सावन की महीने की पूर्णिमा के समय श्रवण नक्षत्र रहता है. इसलिए इसे श्रावण मास कहा जाता है. यह सावन का एक नाम है.

ऐसे ही भोलेनाथ के इस खास महीने के कई नाम हैं. हर नाम का अपना मतलब है और उसे रखने के पीछे एक कारण भी है. आइए जानते हैं सावन के 10 नाम और उनके पीछे की कहानी.

सावन के 10 नाम और उनकी कहानी

1- श्रावण: सावन का यह सबसे प्रचलित नाम है. ज्यादातर भारतीय सावन को इसी नाम से जानते हैं. हालांकि यह श्रवण नक्षत्र के आधार पर रखा गया है, यह बहुत कम लोग जानते हैं. अब इसके 9 और नाम भी जान लेते हैं.

2- मधुमास: सावन का महीना बारिश और हरियाली के लिए जाना जाता है. इस माह के पहले तेज धूप वाली गर्मी पड़ती है. मानसून की शुरुआत के साथ ही अमूमन सावन की शुरुआत होती है. पेड़-पौधे, खेत-खलिहान, झरने और आसपास के पौधे तरोताजा हो उठते हैं. सबकुछ मधुर और आकर्षक दिखने लगता है. यही वजह है कि इसे मधुमास भी कहा जाता है.

3- हरिमास: सावन को भोलेनाथ का महीना कहते हैं, लेकिन यह माह भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए खास होता है. हरि नाम भगवान विष्णु का है, इसलिए इसे हरिमास भी कहते हैं. देश कई हिस्से में हरि-शयन उत्सव मनाने की परंपरा है. उत्तर भारत में देवशयनी एकादशी या आषाढ़ी एकादशी भी कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में जाते हैं. यही वजह है कि इसे चातुर्मास भी कहते हैं.

4- कांवड़मास:सावन का महीना शुरू होते ही कांवड़ दिखने लगते हैं. इस महीने में कांवड़ यात्रा का खास महत्व होता है. भोलेनाथ के भक्त गंगा तट पर जाते हैं, वहां स्नान करते हैं और कलश में गंगा का जल लेकर उसे कांवड़ से बांधते हैं. इसे कंधे पर लटकाकर अपने इलाके के शिवालय में लाते हैं और शिवलिंग पर अर्पित करते हैं.

Kanvan Yatra

देशभर में कांवड़ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है.

5- वरुणमास:सावन के महीने में बारिश के देवता कहे जाने वाले वरुण देव की पूजा-अर्चना की परंपरा रही है. पानी, नदी और वर्षा पर वरुण देव का अधिकार माना जाता है. इसलिए इस खास महीने का नाम वरुणमास भी पड़ा, हालांकि, यह नाम बहुत कम लोग जानते हैं.

6- झूलनमास: इस नाम का सीधा कनेक्शन राधा-कृष्ण से है. सावन के महीने में राधा-कृष्ण झूला उत्सव मनाया जाता है. इसके सबसे ज्यादा आयोजन वृंदावन में होते हैं. इस तरह इस माह का झूलनमास कहने की परंपरा शुरू हुई.

7- बरखामास: सावन का महीना जितना भोलेनाथ की पूजा-अर्चना के लिए जाना जाता है, उतना ही बरखा यानी बारिश के लिए भी जाना जाता है. यही वजह है कि इस खास महीने को बरखामास भी कहा गया.

Rain (4)

8- नीलकंठ मास: मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान शिवजी ने कालकूट विष पिया और उनका कंठ नीला पड़ गया है. इस तरह श्रावण मास में भोलेनाथ के नीलकंठ स्वरूप की पूजा की परंपरा शुरू हुई और इस माह को नीलकंठ मास के नाम से जाना गया.

9- शिवमास:श्रावण मास को यूं ही नहीं, भोलेनाथ प्रिय माह कहा जाता है. इसी महीने में समुद्र मंथन से निकला हुआ विष भोलेनाथ ने पिया था. जिससे उनका कंठ नीला हो गया है. यही वजह है कि सावन में भक्त शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं ताकि विष का ताप शीतल रहे.

10- श्रवणोत्सव: इसका मतलब है श्रावण का उत्सव. सावन के महीने को उत्सवों का महीना भी कहा जाता है. इसी महीने नागपंचमी, रक्षाबंधन, हरियाली तीज, कजरी तीज जैसे त्योहार पड़ते हैं. यही वजह है कि इसे श्रवणोत्सव भी कहा जाता है.

admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *